समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, May 7, 2008

एक पोस्ट साथियों के नाम

ब्लागस्पाट पर मेरे सात ब्लाग ऐसे हैं जो हिंदी फोरमों पर पंजीकृत है और इन पर तीन बार ऐसा अवसर आया है जब एक दिन में 99 तक व्यूज पहूंचे हैं आज यह ब्लाग है जो 100 की संख्या पार कर गया। पंजीकृत ब्लागों से आशय मेरा यह है कि जिनको मैंने स्वयं इन फोरमों पर ईमेल भेजकर कराये हैं। वैसे मेरे दो ब्लाग नारद और चिट्ठाजगत ने मुझसे पूछे बगैर पंजीकृत कर लिये बिना यह जाने कि मैंने उनको प्रयोग के लिये शुरू किया था और उनमें एक ब्लाग ने एक दिन में 183 व्यूज लेकर मुझे हिला दिया जबकि उसकी पोस्टें नगण्य हैं। मैने उसका जिक्र इसलिये नहीं किया क्योंकि मुझे लगा कि मेरे प्रयोग पर भी कोई प्रयोग कर रहा है-और मैं भी अभी प्रयोग जारी रखूंगा। आजकल हिंदी के एग्रीगेटरों के कर्णधार अधिक सक्रिय हो गये है, और किसी भी ब्लाग को खुला नहीं छोड़ते अपने यहां खींच ले जाते हैं। बहरहाल यह कोई शिकायतनामा नहीं लिख रहा।

आज ही मेरे वर्डप्रेस के एक ब्लाग ने बीस हजार की संख्या पार की और उस पर पोस्ट लिखी और स्टेट काउंटर खोलकर जब अपने इस ब्लाग की संख्या देखी तो सोच में पड़ गया। कल लिखी गयी पोस्ट ने अपेक्षा से अधिक पोस्ट जुटाये। यह पोस्ट मैंने आधी अपने विंडो पर और आधी ब्लागस्पाट पर लिखी। वही हुआ जिसकी संभावना थी। कुछ हिस्से मैने कुछ लिखे लोगों ने कुछ और समझे। मैंने देर गये रात यह पोस्ट डाली और मुझे लग रहा था कि अब भला कौन पढ़ेगा? मगर ऐसा लगता है कि कई ब्लाग लेखक तो ताक में बैठे रहते हैं कि कोई अच्छा या अलग हटकर विषय आये तो पढ़ें। सहमति या असहमति एक अलग विषय है पर एक बात तो सिद्ध होती है कि ब्लाग और ब्लाग लेखकों से अलग हटकर लिखे विषय भी यहां हिट पा सकते हैं। कुछ लोग केवल ब्लाग लेखकों से हिट लेने के लिये उनसे संबंधित विषय ही उठाते हैं और हिट लेने में सफल होते हैं और जो ब्लागर अन्य विषय लिखते हैं उनको वैसे हिट नहीं मिलते पर उसके लिये किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

कल की पोस्ट यौन शिक्षा और ब्रह्मचर्य पर थी, जिसमें कुछ हास्य तो कुछ चिंतन था. वैसे यौन शिक्षा और ब्रह्मचर्य जैसे विषयों पर मैंने अधिक अध्ययन किया नहीं किया है और यह जरूरी नहीं है कि मैं किताबों में लिखी हर बात को वैसे ही मान लूं। अपने चिंतन और मनन से मैं कोई नई परिभाषा या अर्थ भी वर्तमान संदर्भों में गढ़ भी सकता हूं। सरस्वती माता की कृपा और अपने प्राचीनतम ग्रंथों के अध्ययन और गुरूजनों की शिक्षा के साथ कुछ नवीनतम विचार और रचना के सृजन करने की प्रेरणा ने मुझे इतना सक्षम बनाया है कि अपने मौलिक विचार व्यक्त कर सकता हूं। मेरे निजी मित्र और साथी कभी मेरे विचारों से सहमत होते हैं और नहीं भी, पर एक बात सभी कहते हैं कि तुम्हारी बात में दम तो है। आशा है कि अपने ब्लाग लेखक साथियों की प्रेरणा से ऐसे ही मेरे ब्लाग बढ़ते रहेंगे।
दीपक भारतदीप

2 comments:

Udan Tashtari said...

आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.

एक नया हिन्दी चिट्ठा भी शुरु करवायें तो मुझ पर और अनेकों पर आपका अहसान कहलायेगा.

इन्तजार करता हूँ कि कौन सा शुरु करवाया. उसे एग्रीगेटर पर लाना मेरी जिम्मेदारी मान लें यदि वह सामाजिक एवं एग्रीगेटर के मापदण्ड पर खरा उतरता है.

यह वाली टिप्पणी भी एक अभियान है. इस टिप्पणी को आगे बढ़ा कर इस अभियान में शामिल हों. शुभकामनाऐं.

mamta said...

दीपक जी बहुत-बहुत बधाई।

लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकायें

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर