सुबह एक कवि नहाते हुए गुनगुनाया
‘ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए
गाना आये या ना, गाना चाहिए’
उधर से पत्नी बेलन लेकर दौड़ी आयी
करने लगी उसकी पिटाई
’कमबख्त! पंद्रह दिन बाद टैंकर
अपने घर के बाहर आया
मुश्किल से एक बाल्टी भरी
उसे भी तुमने गाने में बहाया
अभी करती हूं
इसी बची आधी बाल्टी में
तुम्हारे गानों की कापी डालकर उनका सफाया’
कवि ने पिटते हुए भी गाया
‘क्या खूब लगती हो
बहुत सुंदर लगती हो
कैसा रूप तुमने पाया’
पत्नी के बदल गये तेवर और
मुस्कराते हुए बोली
‘ठीक है इस बार माफ कर देती हूं
पर अगली बार ध्यान रखना
तुम्हारे गाने से मेरा मन भाया’
इस तरह कवि ने पूरा नहाया
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आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago
2 comments:
:) सही है..
***राजीव रंजन प्रसाद
bahut hi sahi sachhi baat
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