सुबह एक कवि नहाते हुए गुनगुनाया
‘ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए
गाना आये या ना, गाना चाहिए’
उधर से पत्नी बेलन लेकर दौड़ी आयी
करने लगी उसकी पिटाई
’कमबख्त! पंद्रह दिन बाद टैंकर
अपने घर के बाहर आया
मुश्किल से एक बाल्टी भरी
उसे भी तुमने गाने में बहाया
अभी करती हूं
इसी बची आधी बाल्टी में
तुम्हारे गानों की कापी डालकर उनका सफाया’
कवि ने पिटते हुए भी गाया
‘क्या खूब लगती हो
बहुत सुंदर लगती हो
कैसा रूप तुमने पाया’
पत्नी के बदल गये तेवर और
मुस्कराते हुए बोली
‘ठीक है इस बार माफ कर देती हूं
पर अगली बार ध्यान रखना
तुम्हारे गाने से मेरा मन भाया’
इस तरह कवि ने पूरा नहाया
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समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र (samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
2 years ago
2 comments:
:) सही है..
***राजीव रंजन प्रसाद
bahut hi sahi sachhi baat
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