या बदतमीजी से भरा शब्द
वैसा ही प्रतिशब्द लौटकर तेरे पास आयेगा
जो लिखेगा शब्द सुंदर भाषा से सजे
तो वाह वाह से गूंजे शब्दों का
सुर तेरे पास लहरायेगा।
जो अभद्र शब्द सजायेगा
तो कहीं से सुनेगा वैसा ही जवाब
कहीं से उठी आह का शिकार हो जायेगा।
ओ कवि! गुस्से में हो या खुशी में
लिखते हुए अपने जज्बातों में
बस उतनी ही तेजी से बहना
जितनी गति का हो सके तेरे से सहना
पढ़ने वाली आंखों का भी ख्याल करना
जब तक हैं तेरी कमान में तीर की तरह शब्द
उनको छोड़ने से पहले
निशाने का भी ख्याल करना
तीर की तरह शब्द भी नहीं लौटते
पर उनके जवाब भी वैसे ही
सामने से भी आते हैं
जैसे होते हैं शब्द वैसे ही
प्रतिशब्द भी आते हैं
जिन अच्छे शब्दों को लिखने का
मजा तुमने लिये लिया था
सामने से आये जवाब से
वह दोहरा आयेगा
जिन खराब शब्दों को लिख कर
तुम बहुत खुश हुए थे
वह भी वैसे ही बुरे प्रतिशब्द लेकर आयेंगे
तब तुम्हारा दिल पछतायेगा
मजे का पैमाना शून्य हो जायेगा
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1 comment:
बहुत सटीक.
गणतंत्र दिवाद की शुभकामना
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