अपने पथ पर चलते हुए
उसके कठिन होने का होता है
सभी को अहसास,
मगर यहाँ किसकी ज़िन्दगी में
फूल बिछे हैं
जिन पर किसी के कदम चलते हैं
सच तो यह है कि
हमेशा ही चारों ओर फ़ैली सुगन्ध
बिखरी हरियाली
बहुते
हुए पानी के झरने
हुए पानी के झरने
देखते हुए भी मन उकता जाता है
दर्द के बिना भी बुरा लगता है अहसास..
---------------------------
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप,Gwaliorhttp://dpkraj.blogspot.com
यह आलेख/हिंदी शायरी मूल रूप से इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका’पर लिखी गयी है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन के लिये अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.अनंत शब्दयोग
No comments:
Post a Comment