अखबार और चलचित्र वालों ने
कुछ चमकदार चेहरे तय
कर लिये हैं
जिनको वह सजाते हैं।
कुछ चमकदार चेहरे तय
कर लिये हैं
जिनको वह सजाते हैं।
कुछ मशहूर नामों को
रट लिया है
जिनको अपने शब्दों में सजाते हैं।
मशहुर हस्तियों में मुख से निकले
या हाथ से लिखे बयान
ही पाते सुर्खियों में जगह
आम इंसान को खास से छोटा
समझने के संदेश
बड़ी खबर बन जाते हैं।
या हाथ से लिखे बयान
ही पाते सुर्खियों में जगह
आम इंसान को खास से छोटा
समझने के संदेश
बड़ी खबर बन जाते हैं।
बाजार चलाता है प्रचारतंत्र
या वह बाजार को
हम समझ नहीं पाते हैं।
अल्बत्ता बड़े लोगों की की
तयशुदा शब्दिक कुश्तियों को देखकर
कभी कभी हम भी
गलती से सच समझ जाते हैं।
http://dpkraj.blogspot.com
यह आलेख/हिंदी शायरी मूल रूप से इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका’पर लिखी गयी है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन के लिये अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.अनंत शब्दयोग
No comments:
Post a Comment