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Saturday, December 12, 2009

तयशुदा शब्दिक कुश्तियां-हिन्दी व्यंग्य साहित्य कविता (tayshuda shabdik kushti-hindi vyangya kavita)

अखबार और चलचित्र वालों ने

कुछ चमकदार चेहरे तय

कर लिये हैं

जिनको वह सजाते हैं।

कुछ मशहूर नामों को

रट लिया है

जिनको अपने शब्दों में सजाते हैं।

मशहुर हस्तियों में मुख से निकले

या हाथ से लिखे बयान

ही पाते सुर्खियों में जगह

आम इंसान को खास से छोटा

समझने के संदेश

बड़ी खबर बन जाते हैं।


बाजार चलाता है प्रचारतंत्र

या वह बाजार को

हम समझ नहीं पाते हैं।

अल्बत्ता बड़े लोगों की की

तयशुदा शब्दिक कुश्तियों को देखकर

कभी कभी  हम भी

गलती से सच समझ जाते हैं।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com

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