जंग के लिये हमेशा तैयार हैं,
बमों के जखीरों पर बैठकर
जहान को दिखा रहे हैं आंखें
दावा यह कि अमन के यार हैं।
कहें दीपक बापू
जब भी खेली जायेगी बारूद की होली
आम इंसानों का खून बहेगा,
सौदागरों के भौंपू सुनायेंगे
खूनखराबे के हाल
आम इंसान का दर्द कौन कहेगा,
बंदूक बना देती है
भले इंसान को भी हैवान,
खंजर जिसकी कमर में बंधा है
बन जाता है शैतान,
कोई खुशी से माने या भय से
उनका यह दावा कि
उनके काले कारनामों में भी
होता इंसानियत का दीदार है।
--------------
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका
६.अमृत सन्देश पत्रिका
No comments:
Post a Comment