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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, February 15, 2012

इंसानियत के तीमारदार-हिन्दी कविता (insaniyat ke teemardar-hindi kavita or poem)

बहादुरी के दावेदार
जंग के लिये हमेशा तैयार हैं,
बमों के जखीरों पर बैठकर
जहान को दिखा रहे हैं आंखें
दावा यह कि अमन के यार हैं।
कहें दीपक बापू
जब भी खेली जायेगी बारूद की होली
आम इंसानों का खून बहेगा,
सौदागरों के भौंपू सुनायेंगे
खूनखराबे के हाल
आम इंसान का दर्द कौन कहेगा,
बंदूक बना देती है
भले इंसान को भी हैवान,
खंजर जिसकी कमर में बंधा है
बन जाता है शैतान,
कोई खुशी से माने या भय से
उनका यह दावा कि
उनके काले कारनामों में भी
होता इंसानियत का दीदार है।
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संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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