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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Thursday, May 15, 2014

राजसिंहासन की जंग और जनता-तीन हिन्दी क्षणिकायें(rajsinhasan ki jung aur janta-three short hindi poem's)



इतिहास के मुताबिक राज सिहांसनों के लिये हमेशा जंग होती हैं,
तख्त पर बैठने वाले पहनते ताज जनता हमेशा तंग होती है।
कहें दीपक बापू तलवारों से धरती जीतने वाले बादशाह चाहे बने
दिल जीतने में जो माहिर हैं जनता उनके ही संग होती है।
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पद पैसा और प्रतिष्ठा के बोझ को हर इंसान नहीं उठां पाता है,
घमंड सिर चढ़कर  बोले दिल का अमन नहीं वह जुटा पाता है
कहें दीपक बापू  जिंदगी की जंग भी अजीब है
 कोई दौलत के पहाड़ पर कोई कण भी नहीं जुटा पाता है।
‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘
हर जगह विवाद खड़ा कर एकता की बात वह करते हैं,
भीड़ कहीं एक न हो यह सोचकर मन ही मन डरते हैं।
कहें दीपक बापू अमन का पैगाम देने वालों पर भरोसा नहीं
फसाद के इंतजार में अकेले बैठे  हमेशा आहें भरते है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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