दीपावली बाद
बधाई देने
घर आया फंदेबाज
और बोला
‘‘दीपक बापू, सुना है तुमने
केवल दिये जलाकर
सूखी दिवाली
मनाई,
पटाखों से दूर
रहे
न मिठाई किसी
की चखी
न किसी को चखाई।’’
सुनकर दीपक बापू
बोले
‘‘यार, होली पर नकली रंग की तरह
दिवाली पर मिठाई
से भी
डर लगने लगा है,
आनंद के पीछे
बीमारी आने का
भय
हृदय में घर
करने लगा है,
देश में
पंचवर्षीय स्वच्छता अभियान
वैसे ही धीमी
गति से चल रहा है,
इस पर पटाखों से
प्रदूषण
हवाओं में
ज्यादा अच्छी तरह पल रहा है,
लोगों को कोई
नहीं परवाह,
घर साफ कर कचरे
से
सजा देते सभी की
राह,
त्यौहार से तो
अब आम दिन
ज्यादा अच्छे
लगते हैं,
आता कोई विशेष
दिवस
यह टीवी चैनले
वाले
चिंतायें जताते
समझ में नहीं
आता
हम सुख के पते
पर
दुुःख को
आमंत्रण भेजकर
किसे ठगते हैं,
बाहर से आकर्षक
अंदर से अस्वस्थ
शरीर लेकर
लोग आनंद ढूंढने
जाते हैं,
जो पा नहीं सकते अंदर
वह बाहर भी नहीं
लूट पाते हैं,
इसलिये हमने देह
के साथ
देश में भी रखने
के लिये सफाई,
अपने मन पर
नियंत्रण कर ही
यह दीपावली
बनाई।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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