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Thursday, December 4, 2014

चमकते सिंहासन पर भक्ति-हिन्दी कविता(chamakte sinhasay par bhaki-hindi poem)





दूसरे पर तरह खाते वही
अपनी देह पर तरह तरह के
वेश धारण करने में
जिनकी आसक्ति है।

चमकते सिंहासन पर विराजे
समाज सेवा के व्यापार में
बेचते भ्रम सत्य के नाम पर
उनके शब्दों में इतनी शक्ति है।


कहें दीपक बापू प्रमाण पत्र
कोई नहीं  देखता
प्रसिद्ध हो जाने पर
प्रश्न नहीं उठाता
चतुराई में सिद्धि आने पर,
गुरु को दोष देना व्यर्थ
शिष्य वही आते
जिनकी जादू में भक्ति है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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