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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, August 2, 2015

किराये पर मधुरता-हिन्दी कविता(kiraye par madhurta-hindi poem)


किराये के संगीत पर
कौवे की कांव कांव भी
मधुर हो जाती है।

किराये के मुखौटे से
सपाट चेहरे की पहचान भी
मधुर हो जाती है।

कहें दीपक बापू पर्दे के दृश्य से
कभी दिल न लगाना
किराये के अभिनय से
ख्वाबों की सोच जिंदगी के सच से
कुछ पल के लिये ही
मधुर हो पाती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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