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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, November 10, 2015

जिंदगी का सफर-हिन्दी कविता(Zindagi ka Safar-Hindi Kavita)

जिंदगी के सफर में
कभी पर्वत पर चढ़े
कभी पांव खाई में आये।

कहीं मित्रों ने मुंह फेरा
कहीं अजनबी
दर्द की दवा लाये।

कहें दीपकबापू चलते रहो
अपने कदमों का हिसाब
आंखों से न देखो
न रखो खोये पाये का लेखा देखो
अमीर महलों में कैदी होते देखे
गरीब भी बिन पैसे मजे पाये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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