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Saturday, June 28, 2008

अकेले में भी यादें खत्म कर देतीं एकांत-हिन्दी शायरी


जब याद आती है अकेले में किसी की
खत्म हो जाता है एकांत
जिन्हें भूलने की कोशिश करो
उतना ही मन होता क्लांत
धीमे-धीमे चलती शीतल पवन
लहराते हुए पेड़ के पतों से खिलता चमन
पर अकेलेपन की चाहत में
बैठे होते उसका आनंद जब
किसी का चेहरा मन में घुमड़ता
हो जाता अशांत

अकेले में मौसम का मजा लेने के लिये
मन ही मन किलकारियां भरने के लिये
आंखे बंद कर लेता हूं
बहुत कोशिश करता हूं
मन की आंखें बंद करने की
पर खुली रहतीं हैं वह हमेशा
कोई साथ होता तो अकेले होने की चाहत
अकेले में भी यादें खत्म कर देतीं एकांत
.................................
दीपक भारतदीप

1 comment:

Udan Tashtari said...

बेहतरीन रचना.

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