किसी ब्लॉग की लोकप्रियता का एक आधार यह भी है कि उसका bounce % क्या है.  जब यह कहा जाता है कि केवल एक आदमी ही ब्लॉग पढता है तब अपने ब्लॉग पर अनेक पाठक देखकर भ्रम पालना ठीक नहीं लगता है. इसलिए गूगल विश्लेषण को अपने ब्लॉग से अवश्य जोड़ना चाहिए.
यह bounce % प्रतिशत जितना कम होगा उतनी ही लोकप्रियता प्रमाणिक होगी. इस ब्लॉग  लेखक के अनेक ब्लॉग हैं उनमें हिंदी पत्रिका का bounce % 56 जो कि अलेक्सा द्वारा  बताया  गया है. यह वर्ड प्रेस का ब्लॉग है और सच तो यह है कि ब्लागस्पाट से अधिक वर्डप्रेस के ब्लॉग की पाठकों तक अधिक  पहुँच का प्रमाण  कि उनका bounce % कम होना ही है. गूगल विश्लेषण में इस बात की सुविधा है कि वह आपको bounce % बताकर वास्तविकता से अवगत कराता है. 
हमारे अन्दर   सफलता का भ्रम में रहना नहीं चाहिए क्योंकि असफलता के कड़वे   सच का सामना करने से ही आत्मविश्वास आता है. 
हिंदी पत्रिका अन्य ब्लॉग से बहुत आगे बढ़ता जा रहा है.  अलेक्सा की इस पर नज़र है, इसका प्रमाण यह है कि इस लेखक के केवल   इसी ब्लॉग की   भारतीय रैकिंग बताते हुए  उस पर भारतीय झंडे का चिह्न लगा दिया है. भारतीय रैकेंग में  भी यह ब्लॉग १३१०० से ऊपर है. इसके बावजूद अलेक्सा पर विश्वास करना कठिन है क्योंकि उसके निर्माण और सुधार का काम चल रहा है. चूंकि गूगल विश्लेषण वर्डप्रेस पर काम नहीं कर रहा है, इसलिए अलेक्सा के bounce % प्रतिशत पर दृष्टिपात करना बुरा नहीं है. 
bounce % में  भी एक कमी दिखाई देती है. वह यह कि उसमें अगर किसी पाठक ने केवल एक ही पृष्ठ  देखा है तो वहां bounce % १०० आ जाता है, यानी की पाठक ने देखा पर रुका नहीं  यही कारण है कि हिंदी के ब्लॉग एक जगह दिखने वाले फोरमों से bounce % कभी कम नहीं होता. संभव है आपको इन फोरमों पर दस पाठकों ने पढा हो पर bounce % १०० हो, पर अन्यत्र कहीं २ ने पढ़ा हो और वहां bounce % ४० हो. bounce  का मतलब वही है जो चेक bounce होने का है. अंतर यह  है  चेक  100 % bounce होता  है पर  ब्लॉग में यह घटता बढ़ता है. 
यहाँ स्पष्ट कर  दें  कि यह लेखक कोई तकनीक विशेषज्ञ नहीं है पर bounce % का अवलोकन करने से यही निष्कर्ष निकलता है. 
 हिंदी पत्रिका शुरू में हिंदी फोरमों पर पंजीकृत नहीं थी पर उसने हमेशा ही अग्रता ली. इसका कारण यह था कि फोरमों पर न दिखने के कारण उस पर अनेक बार अन्य ब्लॉग से उठाकर पाठ सुधार कर रखे गए. सर्च इंजिनों पर पहुँचने के लिए सर्वाधिक प्रयोग उस पर करने के साथ ही उस पर अच्छे पाठ भी  उस समय रखे गए जब वह ब्लोगवाणी पर दिखता था. यह गूगल की पेज रैंक ४ से नीचे तीन पर कैसे आया पता नहीं क्योंकि इसने पाठकों के मामले में उतरोत्तर प्रगति की है.  वैसे तो इस लेखक के तीन ब्लॉग को इस समय चार की रैंक मिली है पर 
हिंदी पत्रिका और 
ईपत्रिका जिस तरह चार से तीन पर आये उससे गूगल पेज रैंक पर भी संदेह होने लगा है-क्योंकि इस लेखक के यही दो ब्लॉग निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं.  हिंदी पत्रिका का bounce % ५६ होने का आशय यह है कि वहां पाठक सबसे अधिक रुक रहे हैं और एक पाठ के बाद दूसरे  पाठों को भी क्लिक कर रहे हैं.  100 % पाठक गूगल से आ रहे हैं. बिना फोरमों के सहायता के वहां २१५ पाठकों (पाठ पढने की संख्या ५०० से ऊपर) का आना इस बात का प्रमाण है कि हिंदी में अब खोज होने लगी है.  इस खोज में विविधता है इसलिए यह कहना कठिन है कि किस तरह के लोग ढूंढ रहे हैं.  अलबता लोग चर्चित विषयों को पसंद करते हैं क्योंकि उनके हिट्स बहुत होते हैं.इस लेखक का ब्लागस्पाट का अग्रता प्राप्त ब्लॉग 
शब्दयोग सारथि पत्रिका है जिसका bounce % 60.40 बाकी सभी ८० का ८५ के बीचे में हैं.
  कुल मिलाकर जिन लोगों को अपने ब्लॉग का स्तर सही रूप से देखना हो उनको यह भी देखना चाहिए कि उनका bounce % कितना है. अगर वह १०० है तो वह ठीक नहीं है पर यह दावा करना इसलिए भी  कठिन है क्योंकि वह के पाठक द्वारा एक ही पृष्ठ देखने पर  bounce %  100  बताता  है. हालांकि हमारा मानना है कि अगर वह १०० है तो इसका अर्थ यह है कि हमें उस ब्लॉग पर मेहनत करने की आवश्यकता है. आखरी बात  यह कि  यह  अंतर्जाल है  इसलिए दावे  से  कोई  बात  नहीं  कही जा   सकती, पर  अपना विचार लिखना भी बुरा नहीं है. खासतौर से जब लिखने से कमाई नहीं हो तब इस तरह के खेल को बुरा भी नहीं कहा जा सकता, जो कि गूगल विश्लेषण से पता लगता है. 
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