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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, November 10, 2010

कितने दिन तक कितने भ्रम-हिन्दी शायरी (kitne din tak kitane bhram-hindi shayari)

वह शिखर पर खड़े थे
बहुत ऊंचे कद्दावर दिखाई देते रहे,
आम इंसानों के महान संदेश हो गये,
जो शब्द उन्होंने अपनी जुबान से कहे।
जो नीचे आये तो
उनका चाल चलन देखकर हुआ अहसास
कद के बहुत छोटे हैं
उससे भी ज्यादा छोटी है उनकी सोच
हैरान है अब उनको देखकर
कितने दिन तक कितने भ्रम हमने सहे।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
writer and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior, madhyapradesh
http://dpkraj.blogspot.com

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