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Saturday, November 13, 2010

सस्ता है यकीन उनका-हिन्दी शायरी (sasta hai yakeen unka-hindi shayari)

वफदारी का वादा कर
सभी मुकर जाते हैं,
सस्ता है यकीन उनका
कौड़ियों में बेच देते हैं,
अपनी इज़्जत की कीमत
उनकी खुद की नज़र में ही कम है,
इसलिये सस्ते में बेचकर
गद्दारों की जमात में बैठ जाते हैं।
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आंखों से देखते हैं
पर अक्ल से अंधे हैं,
आज़ाद दिखते हैं राजा होकर भी
मगर उनके हाथ
प्रायोजकों से बंधे दिखते हैं।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
writer and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior, madhyapradesh
http://dpkraj.blogspot.com

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