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Tuesday, November 30, 2010

आसमान के सितारों पर यकीन नहीं रहा-हिन्दी व्यंग्य शायरी (asaman ke sitaron par yakeen nahin rahaa-hindi vyangya shayri)

धरती पर घूमते सितारों के चमकने की
असलियत जान ली,
जिन्होंने कुछ उधार पर तो
कुछ लूट पर अपनी
जेब भरने की ठान ली,
इसलिये आसमान के
सितारों पर भी यकीन नहीं रहा।
सोचते हैं
अपनी गलतफहमी में ही
बरसों तक यह कैसा भ्रम सहा।
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वह लुटेरे हैं या व्यापारी
पहचानना मुश्किल है,
दौलत से मिली शौहरत ने
मशहूर कर दिया उनको
पर पता लगा कि
हमारी तरह ही उनका भी मामूली दिल है।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
writer and editor-Deepak Bharatdeep,Gwalior, madhyapradesh
http://dpkraj.blogspot.com

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