कोई एक हाथ ऐसा
आकाश से आयेगा,
जो हालात सुधार जायेगा
बाकी सभी हाथ सामान बटोरते रहेंगे।
आकाश से आयेगा,
जो हालात सुधार जायेगा
बाकी सभी हाथ सामान बटोरते रहेंगे।
कोई एक पांव जमीन पर
चलकर
सभी कांटों को कुचल जायेगा,
बाकी पांव मखमली घास पर चलते रहेंगे।
कोई एक इंसान
फरिश्ता बनकर मजबूरों का
सहारा बन जायेगा,
बाकी इंसान अपने घरों में सांस लेते रहेंगे।
यह सोच कितना अजीब है ज़माने का
एक अकेला सर्वशक्तिमान
यह दुनियां चला रहा है
वैसे ही उसका कोई एक कारिंदा
उनके टूटते हुए घर बचायेगा,
धरती के लोग तो
एक दूसरे को उजाड़ते रहेंगे।
अपनी चाहतों के जाल में फंसे लोग
ताक रहे इधर उधर
कोई चूहा आकर आज़ाद करायेगा,
वह तो बेसुध होकर नाचते रहेंगे।
--------------
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका
६.अमृत सन्देश पत्रिका
No comments:
Post a Comment