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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, October 14, 2013

अस्पताल स्वर्ग, डाक्टर देवता और दवायें अमृत रूप-हिन्दी व्यंग्य(hospital swarg,doctor devta aur dawayen amrit roop-hindi vyangya or satire article)



                         हम अगर देश के वर्तमान कथित सभ्रांत वर्ग के लोगों की शारीरिक, मानसिक, वैचारिक तथा बौद्धिक स्थिति पर दृष्टिपात करें तो चिकित्सालय स्वर्ग, चिकित्सक देवता, दवायें, अमृत, गोलियां मिष्ठान और बीमारी दर्शन बन गयी है।  कहीं भी शादी या गमी में युवावस्था के ंअंतिम दौर में चलने वाले, बड़ी आयु या वृद्ध लोगों की बैठक हो वहां बीमारियों को लेकर चर्चा जरूर  होती है।  कभी कभी तो लगता है कि सिवाय बीमारियों पर चर्चा को लेकर उनके पास दूसरा कोई विषय नहीं है।  इतना ही नहीं कुछ लोग राजनीतिक विषय पर बात करते हुए बीमारियों पर बात करने लगते हैं।
                        चलते चलते लोग एक दूसरे को टोकने लगते हैं-‘‘आपने शुगर चेक कराई।’’
                        अगर कोई जवाब दे नहीं तो फिर उससे कहा जाता है कि हर महीने चेक कराया करो। आजकल बीमारियों का पता नहीं चलता। अमुक आदमी की मधुमेह से किडनी खराब हो गयी अमुक का लीवर फट गया।  इस प्रकार के ब्रह्मवाक्य सुनने को मिलते है।  जिनको डायबिटीज है उनके लिये हमराही बहुत सारे हो जाते हैं। कभी कभी तो लगता है कि बीमार लोग अपने चिकित्सक से अधिक  जानते हैं।  अगर अध्यात्मिक दृष्टि से कहें तो क्षेत्रज्ञ वही है जो बीमार्री झेल रहा है।
                        उस दिन हम शहर के एक बड़े पार्क घूमने गये। वहां पर एक पुराने परिचित मिल गये। उनका घर पास ही था इसलिये वहां अक्सर वह शाम को आते थे।  हमें देखकर उन्होंने हालचाल पूछे और बताने लगे कि उनका कुछ दिन पहले ही पथरी का आपरेशन हुआ है।
                        हमने पूछा-‘‘आपकी अब तबियत कैसी है?’’
                        वह तपाक से बोले-‘‘अब तो बढ़िया है।  मैंने अपना इलाज जिस डाक्टर से कराया वह बहुत बड़ा विशेषज्ञ है। उसका निजी अस्पताल भी जोरदार है। एकदम स्वर्ग जैसा।  उसकी दवाओं ने अमृत जैसा काम किया। पैसा हमारा जरूर खर्च किया पर लगता है कि स्वर्ग भोगकर लौटे हैं। अब तो सावधानी रखनी है। डाक्टर ने बताया कि अगर अब तबियत बिगड़ी तो किडनी निकालनी पड़ेगी।’’
                        हमने कहा-‘‘हां, आप अब सावधानी रखा करें।
                        वह बोले-‘‘आप भी अपना चेकअप करा लो। खासतौर से पथरी का पता जरूर करो।  इसका शुरु में पता नहीं चलता अगर चेकअप करा लें तो बुरा नहीं है। अगर पहले ही पता लग जाये तो बिना आपरेशन के ठीक हो जाओगे।’’
                        हमने कहा-‘‘हां, हम करा लेंगे।
                        वह बोले-‘‘डायबिटीज का भी चेकअप करा लो।  ऐसा क्यों नहीं करते, हमारे वाले चिकित्सक के पास जाकर सारे टेस्ट करा लो। उनके सामने मेरा नाम लेना। अब मेरी उस डाक्टर से दोस्ती हो गयी है।’’
                        उन्होंने उस चिकित्सक की ढेंर सारी प्रशंसा की गोया कि इस धरती पर विचरने वाले कोई देवता हों। वैसे हमारे यहां कहा जाता है कि डाक्टर भगवान का रूप है।  हमें इस पर आपत्ति नहीं है पर सवाल यह है कि यह डाक्टर लोग अपनी अमृतमय दवायें लिखकर वाहवाही तेा बटोरते हैं साथ में परहेज रखने की हिदायत भी देते हैं। ऐसे में हम जैसे क्षेत्र ज्ञान साधक के लिये यह समझना कठिन होता है कि मरीज दवा से ठीक होता है या परहेज से उसका स्वास्थ्य पूर्ववत होता है। अगर दवा से ठीक होता है तो परहेज क्यों बताते हैं, और परहेज से ठीक होता है तो फिर दवा की जरूरत क्या है?
                        कहा जाता है कि कम खाओ, गम खाओ, हमेशा स्वास्थ्य पाओ। हमारी पुरावनी कहावतें और मुहावरे अनेक रहस्यमय बातें एक पंक्ति में कह जाते हैं।  वैसे भी कहा जाता है कि हमारे देश में भुखमरी है पर फिर भी लोग यहां भूख से कम मरते हैं जबकि अधिक खाकर दुःख उठाने वालों की संख्या अधिक होती है।
                        उस दिन मधुमेह का एक पर्चा देखा। उसमें बकायदा बीमारों के लिये मीनू लिखा हुआ था। यह खायें, यह कभी नहीं और यह कभी कभी कम मात्रा में खायें।  हमारे सामने एक महिला दूसरी महिला को यह मीनू नोट करवा रही थी।  दोनों को ही मधुमेह ने घेर रखा था और बातचीत में एक दूसरे को वह अपना अनुभव सुना रही थीं।  जब बीमारी की चर्चा हो तो चिकित्सालय, चिकित्सक, दवायें और खान पान की चर्चा न हो यह संभव नहीं है। अमुक चिकित्सक ज्यादा होशियार है अमुक कम अनुभवी है। उसकी दवा लगती है उसकी नहीं।  जिस तरह फलों का आम और  सब्जियों का आलू राजा होता है उसी तरह मधुमेह उस बीमारी का नाम है जो बीमारियों की रानी है।
                        बहरहाल अगर आप स्वस्थ हों तो भी अपने से मिलने जुलने वालों के सामने इसकी चर्चा न करें।  डायबिटीज, एसिडिटी, उच्च रक्तचाप, और थाइराइड के शिकार लोगों की संख्या इतनी अधिक है कि अब स्वस्थ लोगों को ढूंढना पड़ता है।  ऐसे में अगर बीमारी का शिकार कोई मिल जाये तो उसके सामने कभी अपने स्वास्थ्य का बखान न करें। जब किसी बीमार को पता लगता है कि अमुक आदमी बड़ी आयु होने पर भी स्वस्थ है तो वह उसे जांच की सलाह देता है।  अगर कोई योग साधना या प्रातःकाल घूमता है तो भी बीमार लोग उससे कहते हैं कि घूमने से कुछ नहीं होता। बीमारियों का पता नहीं चलता। जांच कराया करो।
                        अगर आप स्वस्थ दिख रहे हैं और बीमारों के सामने यह दावा  करते हैं कि आपको कोई बीमारी नहीं है तो पूछा जायेगा कि आपने चेकअप कराया है।
                        आप कहेंगे नहीं तो नाकभौं सिकोड़ कर कहा जायेगा‘-ऊंह, फिर यह दावा कैसे कर रहे हो कि तुम स्वस्थ हो।’’
                        वहां अपने व्यायाम, सैर सपाटे या योगसाधना की चर्चा न करें वरना ऐसे लोगों की सूची भी बतायी जायेगी जो यह सब करते हुए भी बीमार हों।  यह अलग बात है कि ऐसे बीमार नियम से यह नहीं करते पर दावा यही करते है जिसका प्रचार दूसरे बीमार यह साबित करने के लिये करते हैं कि उन बीमारियों से बचना कठिन है।
                        वैसे भी हमारे चाणक्य महाराज कहते हैं कि अपना धन तथा स्वास्थ्य छिपाकर रखना चाहिये।  इसका सीधा मतलब यही है कि  धन पर किसी दुष्ट की नजर पड़ गयी तो वह वक्रदृष्टि डालेगा और अगर स्वास्थ्य कि चर्चा आप किसी बीमार के सामने करते हैं तो  आह भरते हुए मन ही मन कह सकता है कि हे भगवान, इसे भी मेरी वाली बीमारी लग जाये  कहा भी जाता है कि गरीब और बेबस की आह लग जाती है।  अगर कोई कहे कि अस्पताल में स्वर्ग, डाक्टर में देवता, दवा में अमृत और गोलियों में शहद बसता है तो मान लीजिये। यह जीवन में सहज बने रहने का एक सबसे बेहतर उपाय है।

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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