मैं और मेरा मित्र दोनों उस चाय की दुकान पर बैठकर चाय पी रहे थे, और हमारे पीछे पांच लोग बैठकर आपस में बातें कर रहे थे
''सुन यह आईपोट जो है बहुत काम का है, इससे फोटो ली जा सकती है, और फिर कंप्यूटर में उसे लोड किया जा सकता है।'' एक बोला।
दूसरा बोला-''देखा जाये तो मोबाइल तो सस्ता रखना चाहिए इसे खरीद लिया जाये, यह तो काफी उपयोग की चीज है।''
फिर शुरू हुआ उनके बीच मोबाइल और उनकी कंपनियों की बातचीत का दौर। 'अमुक कंपनी की स्कीम सही है', अमुक कंपनी से यह फायदा है और यह नहीं है'।
मैं और मेरा मित्र वहाँ आधे घंटे बैठे रहे और उनकी बात सुनते रहे। इस दौरान वह लड़के अपनी मोबाइल पर कभी बात करते और कभी उसे ऐसे ही दबाकर एक दूसरे को दिखाते। चाय पीने के बाद हम दोनों उठकर चाय वाले को पैसे देकर उनके पास से गुजरे तो उनमे से एक मेरी हाथ की तरफ बंधी घड़ी की तरफ इशारा करते बोला-''आपकी घड़ी में समय कितना हुआ है?''
मैंने अपनी घड़ी में देखने की बजाय जेब से मोबाइल निकाला और उसे देखकर कहा-''एक बजकर पैंतालीस मिनट'।
दूसरा बोला-''क्या आपकी घड़ी बंद है जो मोबाइल पर देखकर बताया।''
मैंने कहा-''जब से मोबाइल लिया है तब से घड़ी में समय देखने की आदत तो चली गयी है पर हाथ में घड़ी पहनने की आदत नहीं गयी है। ''
हम दोनों वहा से निकल गए तो पीछे से एक को कहते सुना-''यार, हम भी तो अपनी मोबाइल पर समय देख सकते थे।''
थोडा दूर चलकर मेरा मित्र बोला-''यार, उनको घड़ी देखकर ही समय बता दिया होता, जेब से मोबाइल निकालकर समय बताने की क्या जरूरत थी।''
मैंने कहा-''उनको यह बताने के लिए की इस दुनिया में वही अकेले मूर्ख नहीं है बल्कि और भी हैं। पिछले आधे घंटे से मोबाइल के विषय पर बात तो ऐसे कर रहे थे जैसे कि उन्हें सारी अक्ल है।''
इस देश में हर आदमी को एक न एक विषय चाहिए बात करने के लिए। पहले फिल्म पर बातचीत होती थी फिर टीवी एक विषय हो गया। अब जिसके पास बैठो वही मोबाइल लिए बैठा उस बात कर रहा है या हाथ में पकडे उसकी उपयोगिता बता रहा है। मतलब के सुविधा के लिए बनी चीज जिन्दगी बना लेते हैं।मोबाइल मेरे पास भी है पर वह मैंने अपने कुछ मित्रों के दबाव में लिया था पर उसका अनावश्यक उपयोग करना या दिखावा करना मुझे पसंद नहीं। जब मैं उन लड़कों की बात सुन रहा था तो लग रहा था कि मोबाइल कंपनियों के लिए मुफ्त में माडलिंग कर रहे हैं। इसलिए उन्हें इस तरह जवाब देने में मुझे मजा भी आया।
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago
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