जो दिल में बसते हैं
ऐसे लोगों की याद अकेले में
बहुत तरसाती है
उनसे मिलन की चाह सताती है
पर भला किसका बस चला है
इस समय पर
जो आदमी की जरूरतों को पास लाकर
अपनो से दूर कर देता है
जिंदगी भर के सपने गुजारने के सपने
एक पल में चूर कर देता है
इसलिये वादों पर क्या भरोसा करें
जो समय के पाबंद होते हैं
आदमी अपनी जुबाने से
चाहे कितने भी बात कर ले
घड़ी की सुई जब तक तय न करे
कोई ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती है
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ऐसे लोगों की याद अकेले में
बहुत तरसाती है
उनसे मिलन की चाह सताती है
पर भला किसका बस चला है
इस समय पर
जो आदमी की जरूरतों को पास लाकर
अपनो से दूर कर देता है
जिंदगी भर के सपने गुजारने के सपने
एक पल में चूर कर देता है
इसलिये वादों पर क्या भरोसा करें
जो समय के पाबंद होते हैं
आदमी अपनी जुबाने से
चाहे कितने भी बात कर ले
घड़ी की सुई जब तक तय न करे
कोई ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती है
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दीपक भारतदीप
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