मैंने कुछ ब्लोगरों की पोस्टें मैंने पढी हैं जिसमें वह अन्य ब्लोगरों से दूसरे के ब्लोग पर कमेंट लगाकर उसका हौसला आफजाई की अपीलें करते हैं। मेरी उनसे मित्रता है इसलिए मुस्कराकर रह जाता हूँ पर यह पोस्ट मैं उनके इस आग्रह के समर्थन में नही लिख रहा हूँ बल्कि आपको यह बताने के लिए लिए लिख रहा हूँ कि दूसरों के ब्लोग पर कमेन्ट लगाकर कैसे उसकी पोस्ट हथियाई जाती हैं।
दरासल आपने देखा होगा कि किसी पोस्ट पर उसके लेखक का नाम इस तरह ब्लोग पर प्रिंट होता है कि लगता है कि पर उसकी शोभा का एक हिस्सा है। अधिकतर ब्लोग जो हम फोरमों पर देखते हैं और पता चल जाता है कि यह अमुक व्यक्ति का ब्लोग है पर अन्दर हम उसके नाम के वैसी शोभा नहीं देखते जितना उसके विषय को पढ़ते हैं। अगर आम पाठक की बात की जाये तो वह विषय ही पढता है और उसकी बहुत कम उसकी रूचि लेखक के नाम के बारे में रह जाती है। यह बात मेरे पहले ही दिन समझ में आ गयी थी इसलिए मैंने अपना नाम ऊपर ही रखा। हालांकि मुझे यह देखकर हंसी भी आती है पर अब जैसा चल रहा है चलने दो। एक खास बात जो मुझे लगी वह यह कि मेरे जो निजी मित्र हैं वह मेरे ब्लोग पर कमेन्ट देने वाले मित्रों के नाम अच्छी तरह जानते हैं। इसके अलावा मेरे ब्लोग पर जिनके ब्लोग लिंक हैं उनके बारे में भी पूछते हैं। मेरे एक मित्र का मानना है कि कमेन्ट देने वाले लोगों का नाम तो इसलिए याद रहते हैं क्योंकि वह पोस्ट का हिस्सा हो जातीं हैं और चूंकि
उनके नाम वहाँ चमकते हैं इसलिए पढाई में आते हैं लेखक का नाम तो कहीं दुबक जाता है।
मेरे एक मित्र ने मेरे ब्लोग पर लिंक कुछ ब्लोग खोले थे उसमें सभी ब्लोग पर हमारे एक प्रसिद्ध ब्लोगर के कमेन्ट थे और कुछ पर मेरे नहीं थे। वह उसका नाम आजकल न देखकर मुझसे पूछता है-''क्या वह आजकल सक्रिय नहीं है, क्या तुम्हारा उससे झगडा हो गया है। तुम भी यार दूसरों के ब्लोग पर कमेन्ट लगाया करो, उससे तुम्हारा ही नाम होगा।''
एक मित्र ने कहा-''कमेन्ट का मतलब है दूसरे की पोस्ट हथियाना, तुम भी यही करो क्योंकि तुम्हारा ऊपर नाम तो ऐसा लगता है कि ब्लोग का नाम है, तुम्हारी उससे कोई पहचान नहीं मिलती।''
हम लोग जब कमेन्ट देते हैं तो वहाँ हमारे नाम के साथ ब्लोग भी चिपक जाते हैं। यानी कि हो सकता है पाठक आपके नाम पर क्लिक कर आपका ब्लोग भी देख ले और नहीं तो आपको थोडी मेहनत में नाम भी तो मिल जायेगा। वैसे आजकल मैं थोडा रिलीफ अनुभव करता हूँ कि मेरी पोस्ट पर अधिक कब्जे नहीं होते। मैं इतनी मेहनत से लिखता हूँ और मेरे मित्र दूसरे ब्लोगरों की चर्चा की करें यह भला कौन सहन कर सकता है? मेरे मित्र मेरे ब्लोग पर रखी कमेंटों से भी इधर-उधर घुस जाते हैं और पढ़कर कहते हैं-यार, उसने बहुत अच्छा लिखा था।
''फिर कमेन्ट क्यों नहीं लगाई?'' मैं पूछता हूँ। मैंने उनको कमेन्ट लगाना के साथ हिन्दी टूल भी बता दिया है।
''हम ब्लोग बनाते तो कमेन्ट जरूर लगाते?'' वह कहते हैं। यही आकर वह खामोश हो जाते हैं।
जिन्हें प्रसिद्ध और नंबर वन ब्लोगर बनने की इच्छा हो वह आज से कमेन्ट लगाना शुरू कर दें। अगर उन्हें लगता है कि इसमें मुझे हिट होने की चाहत है तो मेरे ब्लोग को अनदेखा कर सकते हैं-दूसरे के ब्लोगों पर जाकर यह काम करें। शायद कुछ लोगों को मजाक लगे पर अगर आप जिन ब्लोगरों को प्रसिद्ध हुआ देख रहे हैं वह अपनी लिखी पोस्टों के साथ इन कमेंटों के कारण भी हैं। हमने अपने अहं के कारण नहीं किया तो आजतक फ्लॉप हैं। आपने किसी अखबार में हमारा नाम ब्लोगर के रूप में नहीं पढा होगा।
मैंने कुछ ऐसे ब्लोगर भी देखे जो गजब का लिखते हैं पर मुझे ताज्जुब हुआ कि उनका नाम चर्चा में नहीं आता क्योंकि अपने आप में मस्त रहने के कारण वह कहीं अधिक कमेन्ट नहीं लगाते. उन्हें मैं भी तब पढ़ पाया जब उनका ब्लोग फोरमों पर मेरे सामने आ गया. तब मुझे यह लगा कि वाकई कमेन्ट लगाना भी मशहूर कराने में सहायक हो सकता है.
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
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3 years ago
4 comments:
दीपक जी, बढिया सुझाव दिया है।धन्यवाद।
दीपक जी, इस माया जगत का अच्छा विवरण. हम ब्लॉग जगत की माया को समझता चाहते हैं लेकिन फिर भी मन की लहर में ही बहना भाता है.
हो सकता है आप सही हों , परन्तु मैं बहुत सारी टिप्पणियाँ करती हूँ और बहुत बार कल या परसों लिखी पोस्ट पर भी करती हूँ । मेरा ब्लॉग पढ़ना कुछ वैसा ही है जैसा समाचार पत्र पढ़ना । जब तक पूरा पत्र ना खंगाल लूँ , उसे रद्दी के ढेर में नहीं डाल सकती । हो सकता है कि जैसा आप कह रहे हैं वैसा मेरा कुछ छिपा उद्देश्य हो, परन्तु यह मेरी जानकारी में प्रत्यक्ष तो नहीं ही है ।
नववर्ष की शुभकामनाओं सहित
घुघूती बासूती
आप अन्यथा न लें यह तो मैंने नये लोगों को कमेन्ट लिखने के लिए उकसाने के लिए लिखा है ताकि उनके आपस में संपर्क बढ़ें. आप और हम तो इन चीजों से बहुत आगे निकल चुके हैं.
दीपक भारतदीप
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