समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, February 24, 2008

संत कबीर वाणी- हरि रस जैसा कोई रसायन नहीं

सबैं रसाइण मैं क्रिया, हरि सा और न कोई
तिल इक घटमैं संचरे, तौ सब तन कंचन होई
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि सभी रसायनों का सेवन कर लिया मैंने मगर हरि-रस जैसी कोई और रसायन नहीं पाई। एक तिल भी घट में शरीर में यह पहुंच जाए तो वह सारा ही कंचन में बदल जाता है।

'कबीर' भाठी कलाल की, बहुतक बैठे आई
सिर सौंपे सोई पिये, नहीं तौ पीया न जाई

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि कलाल की भट्ठी पर बहुत सारे आकर बैठ गए हैं, पर इस मदिरा को कोई एक ही पी सकेगा, जो अपना सिर कलाल को प्रसन्नता के साथ सौंप देगा।

1 comment:

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत खूब,पढ़कर अच्छा लगा , आभार !

लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकायें

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर