१.स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन जिस प्रकार बदहजमी के अवस्था में लाभ के स्थान पर हानि पहुंचाता है और विष का काम करता है। इस अवस्था में किया गया सुस्वादु भोजन व्यक्ति के लिए प्राणलेवा भी हो सकता है।
२.निरंतर अभ्यास न होने से शास्त्रों से प्राप्त ज्ञान भी मनुष्य के लिए घातक हो सकता है। वैसे तो वह विद्वान होता पर अभ्यास के अभाव में अपने ज्ञान का विश्लेषण नहीं करता इसलिए वह भ्रमित होता है और अवसर आने पर सही ढंग से काम न करने पर उसे उपहास का सामना करना पड़ता है और सम्मानित ज्ञानीव्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु के समान होता है।
३.वृद्ध व्यक्ति यदि किसी युवा कन्या से विवाह कर लेता है तो उसका जीवन मरण के समान हो जाता है। कहा जाता है कि पुरुषों के अपेक्षा स्त्रियों में काम की शक्ति आठ गुना अधिक होती है। हब वृद्ध पति से पत्नी को संतुष्टि नहीं होती वह गुप्त रूप से कहीं और मन लगाने की सोचती है। इसलिए वृद्ध पुरुष को किसी तरुणी से विवाह कर अपना जीवन नरकमय नहीं बनाना चाहिऐ।
४.प्रत्येक अच्छी बुरी वस्तु के लिए सीमा होती है और और उसका अतिक्रमण उसे दुर्गति का शिकार बना देता है.
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