खबर ज़माने भर में
सनसनी फैला जाती है
उसके जहर को शौहरत दिला जाती है
पर पेट्रोल और गैस से निकला जहर
शराब और अफीम के नशे का कहर
पूरे समाज को डस रहा है धीरे धीरे
इसे लोगों की भीड़ जानते हुए भी
अपने से छिपा जाती है
दूसरों के मरने का दर्द होता है कम
पर शोक जताकर जमाने को बताया जाता है
संवेदनाएं का अहसास दिलाया जाता है
जहर है उसी का नाम जो पिए आदमी खुद
अपने हाथों से
पर जाहिर न करे बातों से
मर जाता है अपने ही
हाथ से फैलाए जहर से आदमी
पर उसके शिकायत कहीं नजर नहीं आती है
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कवि और संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
वाह साब वाह.
बहुत खूब.
आपने इस रचना के माध्यम से आज के ज़माने का कड़वा सच सामने लाया है.
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